ये रात बरसने वाली है।
निस्तब्ध किरण,घनघोर घटा
ये रात बरसने वाली है।
निस्तेज चंद्र पर काल कलिमा
तम अधरों पर लाली है।
ये रात बरसने वाली है।.........
पलकों पर थिरकते है आंसू
उमंग हृदय से खाली है।
पत्तों पर मोती सी शबनम
आज ढलकने वाली है।
ये रात बरसने वाली है।
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एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो रफ्ता रफ्ता यूँ ज़िन्दगी गुज़र जायेगी शाम ठहरी है ठहरी रहेगी सनम यूँ पत्थर न मारो बिखर जायगी ...
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इनपे भरोसा समझो अपनी जान आफत में डालना है। यानि हमारे एक मित्र हैं चंदूलाल पालकीवाला। यही कोई पचास के लपेट में होंगे। अभी पिछले ही हफ्ते उनक...
2 comments:
बहुत सुंदर मनोभाव हैं ...बधाई
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ
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