ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी
ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी
खड़ी वो सामने मेरे मंज़िल हँसा करती तो है
वक़्त था तो साथ मेरे सारा जहाँ आता था अब
शब भर मेरे साथ मेरी तन्हाइयां जगा करती तो हैं
बीता वक्त आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक...