Sunday, April 8, 2007

ये रात बरसने वाली है......

ये रात बरसने वाली है।

निस्तब्ध किरण,घनघोर घटा
ये रात बरसने वाली है।
निस्तेज चंद्र पर काल कलिमा
तम अधरों पर लाली है।

ये रात बरसने वाली है।.........

पलकों पर थिरकते है आंसू
उमंग हृदय से खाली है।
पत्तों पर मोती सी शबनम
आज ढलकने वाली है।

ये रात बरसने वाली है।

बीता वक्त आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक...