एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो
रफ्ता रफ्ता यूँ ज़िन्दगी गुज़र जायेगी
शाम ठहरी है ठहरी रहेगी सनम
यूँ पत्थर न मारो बिखर जायगी
एक दिन तो ....
प्रेम हृदय बने प्रेम नयन बने
प्रेम प्रातः बने प्रेम शयन बने
प्रेम नभ् से परे क्षितिज बने
प्रेम ही प्रेम हो भरा वहां दूर जहाँ तक तुम्हारी नज़र जायेगी
एक दिन तो मुकम्मल ...
प्रेम रस रिश्तों में हो इतना भरा
एक का दर्द दूजा एहसासे ज़रा
हो अगर प्यार इतना समाया हुआ
सच मानो ये ज़िन्दगी संवर जायेगी
एक दिन तो ....
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