Saturday, March 22, 2014


सर्द रात में क़हर बन गया
वो लम्हा मेरी जीस्त का ज़हर बन गया
वो शाम का मंज़र
वो बेहया रात
वो बेखौफ़ निगाहे
बेसब्र जज्बात

फिर एक शाम गुज़री

NARAD:Hindi Blog Aggregator


फिर एक दिन गया , फिर एक शाम गुज़री,
ज़िन्दगी बस यूँ ही तमाम गुज़री।
 तू नही, तेरी आरजू तेरी यादें ही सही
मेरी सांसो की हर शै बेआराम गुज़री
 तेरे तसव्वुर में बस थक गयीं आँखें
रात का हर लम्हा बे जाम गुज़रा

बीता वक्त आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक...