Wednesday, April 4, 2007

जिंदगी तेरी मदहोश नज़रों के सिवा कुछ भी नही....

जिंदगी तेरी मदहोश नज़रों के सिवा कुछ भी नही
जिंदगी तेरी बाहों के सिवा कुछ भी नही
जिंदगी अल्फाज़ हैं तेरी खा़मोश मोहब्बत के
जिंदगी नाज़ हैं तेरी जुनुन ए सोहबत के
जिंदगी तेरे लबों पे तैरती मुस्कान है
जिंदगी तेरी मोहब्बत का पयाम है
पशेमान दिल की गहराई में
जिंदगी तेरे आंचल की परछाई है
दामन-ए-आकाश के समन्दर में
जिंदगी ख्वाबों की अंगड़ाई है.
तू मुझे मिले ना मिले
जिंदगी तेरी उम्मीद के सिवा कुछ भी नही

जिंदगी तेरी मदहोश नज़रों के सिवा कुछ भी नही ...

2 comments:

Manojaya said...

बहोत खूब . ऐसा ही लिखते रहिए. शुभकामनाएं.

रंजू भाटिया said...

वो बसे थे मेरे दिल में मेरी धड़कन बन कर
यह बात अब भी ना भुलाई जाए
गुज़ार लेते हम यह ज़िंदगी उनके बग़ैर
मगर बिना धड़कनो के ज़िंदगी कैसे अब जी जाए!!!

ranju

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