Sunday, June 10, 2007

इनपे भरोसा कभी ना करना

इनपे भरोसा समझो अपनी जान आफत में डालना है। यानि
हमारे एक मित्र हैं चंदूलाल पालकीवाला। यही कोई पचास के लपेट में होंगे। अभी पिछले ही हफ्ते उनकी पालकी उठ गयी मतलब यम के दूत हमारे चंदू जी को उस स्थान की सैर पर ले गये जंहा जाने के लिये कोई राजी नही होता क्योंकि सब जानते हैं कि यंहा जाने का टिकट तो है लेकिन वापसी का टिकट नही है। हांलाकि यात्रा स्पोंसर्ड होती है एकदम फ्री ऑफ कोस्ट है। पर जब दूत आते हैं तो ना चाहते हुये भी जाना पड़ता है। बहरआल चंदू जी गये या यूं कहे कि दूत महाराज ले गये। घर में रोहाराट मच गया। जाहिर था दिखाना जो था। मन ही मन भले ही सब खुश हों मेरे मित्र के जाने से। खैर मातम के बाद जलाने को ले जाने के लिये प्रक्रिया अभी अद्धम में ही थी कि चंदू जी एक झटके के साथ उठ बैठे। और ये क्या सभी के चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित खुशी के भाव आ गये। हुआ यूं कि यम के दूत भी आजकल गलती करने लग गये हैं। किसी के बदले में हमारे चंदू जी का नम्बर लगा बैठे।
पर साहब असली बात तो हम अब बताने जा रहे हैं.. अभी तक तो भूमिका ही बांध रहे थे। चंदू जी गये और आये बात आयी गयी हो गयी। कुछ दिन बाद एकांत में निठल्लेपन में कमर तोड़ रहे थे तो चंदू जी आन पहुंचे। बात निकली तो फिर दूर तलक गयी। हमारे चंदू जी ने बताया कि यम का दरबार सजा हुआ था। वो जब पहुंचे तो यमराज जी इस बात से खुश हुए कि चलो एक खबरनवीस तो आज फंसा। लेकिन तभी उसके सेक्रेटरी ने यमराज के कान में कुछ फूंक सी मारी। कुछ कहा ही होगा। यमराज ने नाराजगी में उन दूतों को बुला भेजा जो मुझे ले गये थे। उनको बताया गया कि जिस वो जिस आदमी को पकड़ कर लाये हैं उसका वक्त नही आया है। उनसे पूछा गलती कैसे हुई तो यमदूतों ने जवाब दिया। महाराज हमारी कोई गलती नही हम तो खबरिया चैनल्स पे खबर देखकर निकले थे। सभी पर एक ही खबर आ रही थी। कि मशहूर पत्रकार चंदूलाल पालकीवाला हमारे बीच नही रहे। इनकी शान में कसीदे काढ़े जा रहे थे। फोनो पर फोनो चल रहे थे कुछ ने तो उस हलवाई का फोनो भी करा दिया था जो बचपन में इनके नुक्कड़ पर खोली में दुकान चलाता था और एक बार इन्होने जब वो सड़ी सी मिठाई चुराली थी तो उस हलवाई ने दो चांटे इनको रसीद कर दिये थे। खैर हमे यकीन हो गया कि हो ना हो ये मर ही गये होंगे। यमराज जी ने डांटा और कहा कि खबरों के लिये तुमसे किसने कहा खबरिया चैनल्स देखने को। जाओ चंदू जी को बाइज्जत छोड़ के आओ। सो आज मैं आपके सामने हूं चंदू जी बड़ी बेचारगी से बोले।

5 comments:

ePandit said...

बेचारे चंदू जी. हे हे :)

अनूप शुक्ल said...

सही है!

अनुनाद सिंह said...

वाह! आपने अच्छी खबर ली खबरिया चैनेलों की!

Udan Tashtari said...

:) क्या कहें?

Nishikant Tiwari said...

दिल की कलम से
नाम आसमान पर लिख देंगे कसम से
गिराएंगे मिलकर बिजलियाँ
लिख लेख कविता कहानियाँ
हिन्दी छा जाए ऐसे
दुनियावाले दबालें दाँतो तले उगलियाँ ।
NishikantWorld

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