Wednesday, May 2, 2007

समाचार बाजार बनाता है....

निर्मल आंनद जी का आलेख पढ़ा ॥समाचार कौन बनाता है... मै इस बात से सहमत नही हूं कि शिल्पा-गेर प्रकरण किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। जिस समय ये खबर आयी उस समय ऑफिस मे मौजूद था। रात्रि के दस बज चुके थे। तभी हमारे भाई बन्धु चैनल ने इस खबर को सामान्य घटना के तौर पर दिखाया और हमारा भी कोई इरादा नही था लेकिन चूंकि प्रतियोगिता का जमाना है और हमे आगे रहना तो खबर को मसाला तो बनाना ही पड़ेगा। इसलिये जब हमने खबर दिखानी शुरु की तो दिखाते गये क्योंकि लोगों का उत्साह खबर देखने के लिये हमसे भी ज्यादा था। अतः खबर जो शुरु हुई तो रुकी रात के १.३० बजे । चूंकि खबर को तूल दे चुके थे इसलिये लाजिमी था कि दूसरे चैनल्स भी इस खबर पर आ गये । और जाहिर है अगले दिन की सबसे बड़ी खबर बन चुकी थी क्या अखवारों में और क्या चैनल्स पर ... राहुल बाबा की बात चुम्बन प्रकरण में दब कर रह गयी। वो इसलिये कि बाजार चुम्बन का ज्यादा है ना कि राहुल बाबा का......

2 comments:

Anonymous said...
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आलोक said...

निर्मल आनन्द जी का लेख कहाँ है? सन्दर्भ देंगे?

बीता वक्त आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक...