है दर्द मेरे दिल में , लबों पे ये हंसी हैं ,
अंधेरों का सफर है, ना कोई रोशनी है।
वक्त है कि कभी हमसफर ना बन सका
जिंदगी बस यूं ही जिंदगी है,
अंधेरों की तन्हाइयां है कि मै सफर में हूं
गमों की खामोशियां है कि मै सफर में हूं
हद तलक तेरा साथ निबाहुगां जिंदगी
दफ्न की तैयारियां है कि मै सफर में हूं॥
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मौन हृदय से मेरे अब आवाज रुंधी सी आती है आती है जब भी याद जी भरकर आती है... मसरुफ हैं वो तो मसरुफ हम भी हैं, ख्वाबों के भंवर में हर रात गुजर...
2 comments:
सुन्दर रचना है..
अगर है दिल में तो दर्द तो, दर्द की दवा करो
जलते है पांव गर, तो ना आग पर चला करो
धन्यवाद
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