Wednesday, February 2, 2022

बीता वक्त

आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक्त कब बीत गया। बहुत कुछ पीछे छूट गया । एक सफ़र की तरह बहुत कुछ नया मिलता चला गया और पुराना पीछे छूटता चला गया। 
ज़िंदगी कुछ ऐसी ही होती है, किसी किताब के काग़ज़ के सफ़ों की तरह बस पलटते चले जाते हैं । नये सफ़ों पर नये हर्फ लिखे होते हैं..
ख़बरों की दुनिया में एक बहुत लम्बा वक्त बीता दिया। हासिल क्या रहा , इस सवाल का जवाब ढूंढ रहा हूं। 
वो कहते हैं कि 

उम्मीदों, ख़्वाहिशों के इस पार आ गया
कोई  शक़्स  मुझमें समझदार आ गया।
..

हाँ शायद ज़िंदगी जीने का सही तरीका यही है कि उम्मीद मत करो, ख्वाहिशों को मत पालो... 
आज  बस इतना ही... 

Sunday, January 29, 2017


लम्हा जो गिरा लबों पर तो फूल बन गया
शिकस्ता रहगुजर में तेरी धूल बन गया।

Monday, July 6, 2015

एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो


एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो
 रफ्ता रफ्ता यूँ ज़िन्दगी गुज़र जायेगी   
शाम ठहरी है ठहरी रहेगी सनम
यूँ पत्थर न मारो बिखर जायगी      
एक दिन तो ....
प्रेम हृदय बने प्रेम नयन बने   
प्रेम प्रातः बने प्रेम शयन बने  
प्रेम नभ् से परे क्षितिज बने
प्रेम ही प्रेम हो भरा वहां दूर जहाँ तक तुम्हारी नज़र जायेगी   
एक दिन तो मुकम्मल ...
 प्रेम रस रिश्तों में हो इतना भरा  
एक का दर्द दूजा एहसासे ज़रा
हो अगर प्यार इतना समाया हुआ
सच मानो ये ज़िन्दगी संवर जायेगी        
एक दिन तो ....

Friday, June 12, 2015

अरमान

ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी

ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी

खड़ी वो सामने मेरे मंज़िल हँसा करती तो है

वक़्त था तो साथ मेरे सारा जहाँ आता था अब
शब भर मेरे साथ मेरी तन्हाइयां जगा करती तो हैं

Thursday, July 31, 2014

वो अपने जाने का सामान कर बैठे

NARAD:Hindi Blog Aggregator                                                   
      वो अपने जाने का सामान कर बैठे
यूँ मेरी जिंदगी की शाम कर बैठे

कैसे कटेगा बेसब्र तन्हाई का आलम
कैसे कटेगा वक़्त. वो जुदाई का आलम
न दिन गुजरेगा न रात गुजरेगी                    
वो तन्हा शाम बेबात गुजरेगी

अपनी तम्मनाओ को देकर परवाज़
मेरी हसरतों को विराम  दे बैठे

       तसव्वुर उनके ख्यालात उनके
बातें उनकी वाक्यात उनके
गुज़र के गयी जो सबा उनकी थी
बहा ले गयी वो सदा उनकी थी

       खुद तो गये.वो  ,हम तनहा 'क्षितिज़'    
जिंदगी हमारी तमाम कर बैठे।

Saturday, March 22, 2014


सर्द रात में क़हर बन गया
वो लम्हा मेरी जीस्त का ज़हर बन गया
वो शाम का मंज़र
वो बेहया रात
वो बेखौफ़ निगाहे
बेसब्र जज्बात

फिर एक शाम गुज़री

NARAD:Hindi Blog Aggregator


फिर एक दिन गया , फिर एक शाम गुज़री,
ज़िन्दगी बस यूँ ही तमाम गुज़री।
 तू नही, तेरी आरजू तेरी यादें ही सही
मेरी सांसो की हर शै बेआराम गुज़री
 तेरे तसव्वुर में बस थक गयीं आँखें
रात का हर लम्हा बे जाम गुज़रा

बीता वक्त आज एक बहुत ही लम्बे वक्त के बाद ब्लॉग पर वापसी की है। उम्मीद है कि अब जारी रख पाऊंगा। पता ही नही चला कि ज़िंदगी की जद्दोजहद में वक...